🕉️ 05 अगस्त 2025: पुत्रदा एकादशी और मंगला गौरी व्रत का पावन योग
📅 विशेष तिथि: 05 अगस्त 2025
इस वर्ष 5 अगस्त 2025 को दो महत्वपूर्ण व्रत एक ही दिन पड़ रहे हैं – पुत्रदा एकादशी और मंगला गौरी व्रत। यह दुर्लभ संयोग श्रद्धालुओं के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। यह दिन देवी पार्वती और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर है।
🔶 पुत्रदा एकादशी क्या है?
पुत्रदा एकादशी, हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए शुभ होता है जो संतान सुख की प्राप्ति की कामना करते हैं।
📜 महत्व:
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यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
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"पुत्रदा" शब्द का अर्थ है — "संतान देने वाली"।
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धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से संतान सुख प्राप्त होता है।
🔶 मंगला गौरी व्रत क्या है?
मंगला गौरी व्रत मुख्यतः नवविवाहित स्त्रियों द्वारा अपनी वैवाहिक सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। यह व्रत श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है।
📜 महत्व:
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यह व्रत देवी गौरी (पार्वती जी) को समर्पित है।
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पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से यह व्रत किया जाता है।
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इसे "सौभाग्यवती स्त्रियों का व्रत" भी कहा जाता है।
🕉️ दोनों व्रत एक साथ होने का विशेष योग
जब पुत्रदा एकादशी और मंगला गौरी व्रत एक ही दिन पड़ते हैं, तब यह दिन अत्यंत शुभ और दुर्लभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि वैवाहिक जीवन भी मंगलमय बना रहता है।
🧘♂️ पुत्रदा एकादशी व्रत विधि
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स्नान और संकल्प – प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
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भगवान विष्णु की पूजा – पीले पुष्प, तुलसी दल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
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व्रत कथा का पाठ – पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें।
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निर्जला उपवास – इस दिन जल तक ग्रहण न करें, यथासंभव निर्जल व्रत करें।
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रात्रि जागरण – रात में भजन-कीर्तन करें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
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द्वादशी पर पारण – अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।
🧘♀️ मंगला गौरी व्रत विधि
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कलश स्थापना – लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर गौरी माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
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सोलह श्रृंगार – देवी गौरी को सुहाग का सोलह श्रृंगार अर्पित करें।
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पंचामृत स्नान – माता को पंचामृत से स्नान कराएं।
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आरती और भजन – माँ गौरी की आरती करें और भक्ति गीत गायें।
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व्रत कथा – मंगला गौरी व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
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सात वैवाहित स्त्रियों को भोजन – उन्हें सुहाग की सामग्री भेंट करें।
📚 व्रत कथाएँ (संक्षेप में)
पुत्रदा एकादशी की कथा:
भद्रावती नगरी के राजा सुकुमार के संतान नहीं थी। संतों की सलाह पर उन्होंने पुत्रदा एकादशी का व्रत किया और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई।
मंगला गौरी व्रत की कथा:
एक ब्राह्मण कन्या का विवाह निर्धन ब्राह्मण पुत्र से हुआ। विवाह के बाद उसने पूरे श्रावण मास में मंगला गौरी व्रत किया जिससे उसके पति की मृत्यु टल गई और उसका जीवन सुखमय हो गया।
🌼 व्रत से जुड़ी विशेष मान्यताएं
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पुत्रदा एकादशी व्रत निष्काम भक्ति और संतान प्राप्ति दोनों के लिए उत्तम माना जाता है।
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मंगला गौरी व्रत से पति की दीर्घायु, दाम्पत्य सुख और सौभाग्य प्राप्त होता है।
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दोनों व्रत स्त्री और पुरुष के जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ की सिद्धि में सहायक हैं।
🌿 क्या करें और क्या न करें
| करें ✅ | न करें ❌ |
|---|---|
| ब्रह्मचर्य का पालन करें | झूठ, क्रोध, ईर्ष्या से बचें |
| मंत्रों का जप करें | लहसुन-प्याज, मांस न खाएं |
| जरूरतमंदों को दान दें | अपवित्र वस्त्र धारण न करें |
| तुलसी दल से पूजा करें | तुलसी पत्ता न तोड़ें रात्रि में |
📿 व्रत में उपयोगी मंत्र
विष्णु मंत्र (पुत्रदा एकादशी हेतु):
गौरी मंत्र (मंगला गौरी हेतु):
📌 व्रत का आध्यात्मिक लाभ
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जीवन में धैर्य, संयम और श्रद्धा का विकास होता है।
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मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
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पारिवारिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बना रहता है।
🕯️ निष्कर्ष:
5 अगस्त 2025 का दिन हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत पुण्यदायी है। पुत्रदा एकादशी और मंगला गौरी व्रत का एक साथ आना दुर्लभ संयोग है, जो जीवन को सुख, समृद्धि और संतान सुख से परिपूर्ण करता है। इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक व्रत करने से न केवल सांसारिक बल्कि आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त होते हैं।
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✍️ लेख का श्रेय:
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