हरितालिका तीज 2025: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और सांस्कृतिक महत्व 🚩🚩
त्योहार की तिथि: 26 अगस्त 2025, मंगलवार
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हरितालिका तीज की पूजा विधि (Step by Step)
हरितालिका तीज व्रत को विधिपूर्वक करने के लिए महिलाएँ पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करती हैं। यहाँ पूजा विधि का संक्षिप्त विवरण दिया जा रहा है:
- स्नान और संकल्प: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें: पूजा स्थान पर मिट्टी, पत्थर या धातु से बनी शिव-पार्वती की मूर्ति रखें।
- व्रती का श्रृंगार: सोलह श्रृंगार करके पारंपरिक वस्त्र धारण करें।
- पूजन सामग्री अर्पित करें: बेलपत्र, धतूरा, फल, पुष्प, हल्दी, सिंदूर, सुहाग की सामग्री अर्पित करें।
- व्रत कथा श्रवण: हरितालिका तीज की कथा सुनना या पढ़ना आवश्यक है।
- आरती और भजन: भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें तथा भजन-कीर्तन करें।
- जागरण: रातभर भक्ति गीत गाकर जागरण करना शुभ माना जाता है।
- व्रत का पारायण: अगले दिन स्नान कर पूजा करके व्रत का पारायण करें और ब्राह्मणों व कन्याओं को भोजन कराएँ।
हरितालिका तीज 2025 का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 26 अगस्त 2025 (मंगलवार) को हरितालिका तीज व्रत मनाया जाएगा। इस दिन का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
- तिथि प्रारंभ: 25 अगस्त 2025 रात 11:30 बजे से
- तिथि समाप्त: 26 अगस्त 2025 रात 08:05 बजे तक
- पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त: 26 अगस्त को सुबह 06:00 बजे से 08:30 बजे तक
इस समय में पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
हरितालिका तीज पूजा सामग्री
हरितालिका तीज की पूजा के लिए निम्न सामग्री का होना आवश्यक है:
- भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा
- बेलपत्र और धतूरा
- पान, सुपारी, नारियल
- सिंदूर, हल्दी, मेहंदी
- सोलह श्रृंगार की सामग्री
- फल और मिठाई
- दीपक और धूपबत्ती
- गंगाजल
- पूजन थाली और कलश
यह सामग्री माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा में अर्पित की जाती है जिससे व्रती को पूर्ण फल प्राप्त होता है।
हरितालिका तीज का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
हरितालिका तीज सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन महिलाएँ आपस में मिलकर उत्सव का आनंद लेती हैं। गाँव और कस्बों में सामूहिक पूजा और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।
इस पर्व का विशेष आकर्षण है महिलाओं का झूला झूलना, लोकगीत गाना और पारंपरिक नृत्य करना। यह त्योहार स्त्री-शक्ति, प्रेम, त्याग और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
आधुनिक समय में हरितालिका तीज का स्वरूप
आधुनिक जीवनशैली में भी हरितालिका तीज का महत्व कम नहीं हुआ है। आज भी महिलाएँ पूरे उत्साह से यह व्रत करती हैं। हालाँकि, समय के साथ कुछ बदलाव जरूर आए हैं।
- अब शहरों में महिलाएँ सामूहिक रूप से हॉल या मंदिर में पूजा करती हैं।
- सोशल मीडिया पर तीज की शुभकामनाएँ और तस्वीरें साझा करना आम हो गया है।
- व्रत कथा को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर सुनना और पढ़ना भी प्रचलन में है।
- फैशन और परंपरा का सुंदर मेल देखने को मिलता है, जहाँ महिलाएँ पारंपरिक श्रृंगार के साथ आधुनिक अंदाज़ अपनाती हैं।
इस तरह, तीज पर्व आज भी भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत करता है और हमें हमारे पारिवारिक मूल्यों से जोड़ता है।
निष्कर्ष
हरितालिका तीज 2025, 26 अगस्त को मनाया जाएगा। यह पर्व भारतीय संस्कृति में स्त्रियों के त्याग, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। विवाहित हों या अविवाहित, हर महिला इस व्रत से अपने जीवन में सुख, शांति और प्रेम का संचार करती है।
यह त्योहार हमें सिखाता है कि आस्था और भक्ति से हर कठिनाई को सरल बनाया जा सकता है। भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद जीवन को आनंदमय और सफल बनाता है।

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