गणेश चतुर्थी 2025 की तिथि और समय

गणेश चतुर्थी 2025: तिथि, महत्व, पौराणिक कथा और पूजा विधि
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हिन्दू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में गणेश चतुर्थी का पर्व मंगलवार, 26 अगस्त 2025 को दोपहर 1:54 बजे से प्रारंभ होगा और बुधवार, 27 अगस्त 2025 को दोपहर 3:44 बजे तक रहेगा। इस दिन भगवान गणेश का जन्मोत्सव पूरे भारत में उत्साहपूर्वक मनाया जाएगा।

गणेश चतुर्थी का यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है।

गणेश चतुर्थी 2025: तिथि, महत्व, पौराणिक कथा और पूजा विधि
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गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसे पूरे देश में श्रद्धा और आस्था से मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में इसकी भव्यता विशेष रूप से देखने योग्य होती है।

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि और विवेक का देवता माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की उपासना करने से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।


भगवान गणेश का जन्म – पौराणिक कथा

शिवपुराण और स्कंदपुराण में भगवान गणेश के जन्म की कथा मिलती है।

माता पार्वती ने स्नान करते समय अपने शरीर के उबटन से एक बालक का निर्माण किया और उसमें प्राण फूंक दिए। वह बालक गणेश कहलाया। माता ने उन्हें दरवाजे पर पहरा देने के लिए खड़ा किया।

इसी दौरान भगवान शिव वहाँ आए और अंदर जाने का प्रयास किया। गणेश जी ने उन्हें रोका। इस पर शिव जी क्रोधित हुए और त्रिशूल से उनका मस्तक काट दिया।

माता पार्वती शोकमग्न हुईं। तब शिवजी ने वचन दिया कि वे गणेश को पुनर्जीवित करेंगे। उनके गणों को आदेश दिया गया कि वे उत्तर दिशा की ओर जाकर जिस प्राणी का सिर सबसे पहले मिले उसे लाएँ। संयोगवश उन्हें हाथी का बच्चा मिला।

उसका मस्तक गणेश जी के धड़ से जोड़ दिया गया और उन्हें पुनः जीवन मिला। तभी से वे गजानन, विनायक और विघ्नहर्ता कहलाए।


गणेश जी के नाम और महत्व

गणेश जी के 12 प्रमुख नाम इस प्रकार हैं—

  1. सुमुख

  2. एकदंत

  3. कपिल

  4. गजकर्णक

  5. लंबोदर

  6. विकट

  7. विघ्नराज

  8. गणाध्यक्ष

  9. धूम्रवर्ण

  10. भालचंद्र

  11. विनायक

  12. गजानन

इन नामों का स्मरण करने से सभी कार्य सफल होते हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।


गणेश चतुर्थी की पूजा विधि

गणेश चतुर्थी पर प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर या पंडाल में गणेश प्रतिमा की स्थापना करें।

  • कलश स्थापना करें

  • गणेश जी को लाल फूल, दूर्वा, मोदक और लड्डू अर्पित करें

  • धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएँ

  • गणपति मंत्रों का जप करें

  • शाम को आरती करें

विशेष नैवेद्य – मोदक
गणेश जी को मोदक अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि 21 मोदक अर्पित करने से भगवान गणेश शीघ्र प्रसन्न होते हैं।


व्रत का महत्व

गणेश चतुर्थी पर व्रत रखने का भी विशेष महत्व है। भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और संध्या काल में पूजा-अर्चना कर फलाहार ग्रहण करते हैं।


निष्कर्ष – भाग 1

गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि आस्था, विश्वास और भक्ति का प्रतीक है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

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